Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
24 May 2024 · 1 min read

मैं जिन्दगी में

मैं जिन्दगी मे
लाखो ख्वाहिशे रखता हूं।
जो ना मिले
मै हमेशा उसी की तलाश रखता हूं।
लगता है सब मिलेगा मुझे एक दिन
इसी उम्मीद के सहारे
मैं खुद को धोका दिये जाता हूं।
swami ganganiya

Language: Hindi
33 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
2968.*पूर्णिका*
2968.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
गुफ्तगू तुझसे करनी बहुत ज़रूरी है ।
गुफ्तगू तुझसे करनी बहुत ज़रूरी है ।
Phool gufran
“सुरक्षा में चूक” (संस्मरण-फौजी दर्पण)
“सुरक्षा में चूक” (संस्मरण-फौजी दर्पण)
DrLakshman Jha Parimal
भय भव भंजक
भय भव भंजक
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
🙏 गुरु चरणों की धूल 🙏
🙏 गुरु चरणों की धूल 🙏
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
दौरे-हजीर चंद पर कलमात🌹🌹🌹🌹🌹🌹
दौरे-हजीर चंद पर कलमात🌹🌹🌹🌹🌹🌹
shabina. Naaz
बीते हुए दिन बचपन के
बीते हुए दिन बचपन के
Dr.Pratibha Prakash
बुरा जो देखन मैं चला, बुरा न मिलिया कोय।
बुरा जो देखन मैं चला, बुरा न मिलिया कोय।
डा. सूर्यनारायण पाण्डेय
ग़ज़ल (तुमने जो मिलना छोड़ दिया...)
ग़ज़ल (तुमने जो मिलना छोड़ दिया...)
डॉक्टर रागिनी
Learn self-compassion
Learn self-compassion
पूर्वार्थ
"आतिशे-इश्क़" ग़ज़ल
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
रिश्तों का एक उचित मूल्य💙👭👏👪
रिश्तों का एक उचित मूल्य💙👭👏👪
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
क्या यही संसार होगा...
क्या यही संसार होगा...
डॉ.सीमा अग्रवाल
*Treasure the Nature*
*Treasure the Nature*
Poonam Matia
जीवन के हर युद्ध को,
जीवन के हर युद्ध को,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
मृत्यु पर विजय
मृत्यु पर विजय
Mukesh Kumar Sonkar
*शिवोहम्*
*शिवोहम्* "" ( *ॐ नमः शिवायः* )
सुनीलानंद महंत
Struggle to conserve natural resources
Struggle to conserve natural resources
Desert fellow Rakesh
यह कौन सा विधान हैं?
यह कौन सा विधान हैं?
Vishnu Prasad 'panchotiya'
बेटिया विदा हो जाती है खेल कूदकर उसी आंगन में और बहू आते ही
बेटिया विदा हो जाती है खेल कूदकर उसी आंगन में और बहू आते ही
Ranjeet kumar patre
आवाज़ दीजिए Ghazal by Vinit Singh Shayar
आवाज़ दीजिए Ghazal by Vinit Singh Shayar
Vinit kumar
जंग अपनी आंखों से ओझल होते देखा है,
जंग अपनी आंखों से ओझल होते देखा है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
आप हाथो के लकीरों पर यकीन मत करना,
आप हाथो के लकीरों पर यकीन मत करना,
शेखर सिंह
मन और मस्तिष्क
मन और मस्तिष्क
Dhriti Mishra
शिकवा ,गिला
शिकवा ,गिला
Dr fauzia Naseem shad
मेरी आँखों से भी नींदों का रिश्ता टूट जाता है
मेरी आँखों से भी नींदों का रिश्ता टूट जाता है
Aadarsh Dubey
दोहा
दोहा
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
कलयुग के बाबा
कलयुग के बाबा
गायक - लेखक अजीत कुमार तलवार
"अच्छे इंसान"
Dr. Kishan tandon kranti
कविता
कविता
Rambali Mishra
Loading...