मैं जब भी देखती हूॅं
मैं जब भी देखती हूॅं ऊॅंची चमकती मिनारे
शहर के बीच और सड़क के किनारे
सोचती हूं … खूॅं जिनका पसीना बन इंट पत्थरों में घुल गया
वो सोते क्यूं हैं गंदी बस्ती या सड़कों के किनारे
~ सिद्धार्थ
मैं जब भी देखती हूॅं ऊॅंची चमकती मिनारे
शहर के बीच और सड़क के किनारे
सोचती हूं … खूॅं जिनका पसीना बन इंट पत्थरों में घुल गया
वो सोते क्यूं हैं गंदी बस्ती या सड़कों के किनारे
~ सिद्धार्थ