मैं चाहता हूँ
मैं चाहता हूँ
अपने घास फूस के कच्चे घर को तोड़कर
आधुनिक शैली का भवन बनाना
मिट्टी की लिपी-पुती दीवारों पर पलस्तर चढ़ाना
फ़िर अचानक विचार आता है,
मेरे इस घर के अंदर
टाँड पर पड़ी जच्चा छिपकली का
जिसके सभी सगे- संबंधी जुटे है
कुआँ-पूजन की तैयारी में
आ रही है उसकी सहेलियाँ
उसको बधाई देने,
मेरा घर तो सदियों पुराना है
लगभग दो सप्ताह पहले
इसके छप्पर में
एक चिड़िया ने बनाया था
अपना नया घर
ब्याज पर पैसे लेकर
या होम लोन लेकर
मैं नही चाहता
उसको उजाड़ना,
दो बल्लियों के बीच खाली जगह में रोज मिलते है
अजीब किस्म के दो कीट
जिनकी प्रजाति मैंने कभी जानने की कोशिश नहीं की
उनकी हरकतों से लगते है
प्रेमी-प्रेमिका
शायद उनको इससे सुरक्षित जगह कोई ना मिली हो
मैं नहीं चाहता
उनके वियोग का कारण बनना,
रात को आले में जलती डिबिया के उजाले में
मैं देखता हूँ ऐसे ही असंख्य जीव
जो व्यस्त है भिन्न-भिन्न कार्यों में
छप्पर को अपनी दुनिया मानकर
मैं नही चाहता
उनको उद्विग्न करना
इसलिए मैं प्रतिदिन त्याग देता हूँ
घर तोड़ने का विचार।