मैं चंचल हूँ मेघों के पार से आया करता हूँ ।
मैं चंचल हूं, मेघों के पार से आया करता हूं।
मैं चंचल हूं , मेघों के पार से आया करता हूं।
मै पावक हूं, पृथ्वी को भूषित , भष्मित करता हूं।
मैं किरण हूं,रश्मि रथी पथ को आलोकित करता हूं
मैं प्यासा रह कर, जीवन को पल-पल तरसाया करता हूं।
भूख बनकर मैं, जीवन को पल-पल तड़पाया करता हूं ।
मैं सृष्टा हूं , जीवन की रचना करता हूं।
मैं काल चक्र हूं, विनाश की लीला करता हूं।
मैं प्रलय हूं, धरा को जल से आप्लावित करता हूं।
पथिक हूं मैं,जीवन पथ की राह निहारा करता हूं।
मैं रश्मि किरण हूं , ताप रहित संताप मिटाया करता हूं।
मैं किरण हूं,रश्मि -रथी पथ को आलोकित करता हूं।
प्रवीण कुमार श्रीवास्तव प्रेम