मैं घर का बड़ा लड़का हूँ…
मैं घर का बड़ा लड़का हूं,
जानता सब हूं पर कुछ कहता नहीं,
बहुत सी जिम्मेदारियां है मुझ पर,
चूंकि उमर हो चुकी है पापा की,
घर का खर्चा,और भाई की पढ़ाई,
सभी के लिए पैसे तो चाहिए,
इन सभी का जिम्मा अब मैं समझ चुका हूं,
घर के लिए कुछ करना चाहता हूं,
क्योंकि, मैं घर का बड़ा लड़का हूं ।।
अब ग्रेजुएशन पूरी हो चुकी है मेरी,
फिर भी बेरोजगार ही हूं मैं,
अपनी जिम्मेदारियां समझ चुका हूं,
इसलिए मैं कमाना चाहता हूं,
पर धक्के खाने की हिम्मत नहीं है मुझमें,
पर मैं कमाऊंगा नहीं, तो घर कैसे चलेगा,
आगे मेरी शादी है,और भाई का पढ़ाई भी,
इन सभी के लिए अब मैं कमाना चाहता हूं,
क्योंकि, मैं घर का बड़ा लड़का हूं ।।
ना अब जाग पाता हूं, ना ही ठीक से सोता हूं,
मैं घर का बड़ा लड़का हूं, अपने नकारेपन पर रोता हूं,
चार दीवारों और आईने से,दिल की बात करता हूं,
मम्मी पापा से बात करने से, अब रोज मैं डरता हूं,
अपने सारे सवालों का हर पल जवाब ढूंढता हूं,
अकेलेपन में लिपटा हूं, पर सारे गम छुपा लेता हूं,
जब मेरे काम की कोई पूछता है,
तो अटपटे किस्से सुना देता हूं,
सभी के लिए मैं बहुत कुछ करना चाहता हूं,
क्योंकि मैं घर का बड़ा लड़का हूं ।।
थोड़ा समझदार थोड़ा, जिम्मेदार हूं मैं,
इसलिए घर से निकलना चाहता हूं,
उम्र हो चुकी है मेरी काम करने की,
आज मैं तपूँगा नहीं, तो कल चूल्हा कैसे जलेगा,
आज सभी जिंदा है मेरे आसरे पे,
आज मैं बढूंगा नहीं, तो घर कैसे संवरेगा,
अपना जिम्मा समझकर, भविष्य की सोचने लगा हूं,
क्योंकि मैं घर का बड़ा लड़का हूं ।।
अगर कोई दोस्त हो मुझ जैसा तुम्हारा,
तो उसे अपना बना लेना,
घर में ना सही, तो उसे दिल में बसा लेना,
वह बात करने को तरस रहा है,
अपनी महफिल में उसे भी बुला लेना,
वह हमेशा से उड़ना चाहता है,
हो सके तो उसका हौसला बढ़ा देना,
वह रहे चाहे कहीं, भी तुम्हें याद रखेगा,
वह घर का बड़ा लड़का है, बड़ा नाम करेगा ।।
वह घर का बड़ा लड़का है, बड़ा नाम करेगा ।।
-विनय कुमार करुणे