मैं गुल बना गुलशन बना गुलफाम बना
मैं गुल बना गुलशन बना गुलफाम बना
उसे चाहत थी उसके लिये रसीला आम बना
वो चाँद तारों की ख्वाईशें नहीं करती मुझसे
मुझे झोंपड़ी प्यारी है,ना इतने ताम झाम बना
दूर तलक ले आई है ये बेइन्तहा रहिशी मुझे
पग पग पर ठुकराने वाला मैं वो इल्ज़ाम बना
गुलशन में पसरा पड़ा है कोहरा सन्नाटे का
रूह तक उतर कर उसके मैं फिर गुमनाम बना
मैं लौट आना चाहता था सब पहले जैसा करने
उसकी इस आह का मैं इकलौता कुहराम बना
लुट पिटकर आया था मैं उसका दामन थामने
वो बोली क्यों आया है जग में अपना नाम बना
@भवानी सिंह “भूधर”