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28 Mar 2024 · 1 min read

मैं खोया हूँ मयखाने में…

कोई मुझे रोक लेता इस जमाने में
क्योंकि मैं खोया हूँ किसी मयखाने में
मुझे क्या पता था ये दिन भी आएंगे
कि मैं अकेला रह जाऊंगा जमाने में
मैंने सोचा था वो समझाने आएगा
लेकिन वो मगरूर अपने आशियाने में
मैं यूं ही चला था उसका साथ निभाने
वो सफर में ही छोड़ गया अंधियारे में
मैं वर्षों से उसका साथ निभा रहा था
उसने वर्षों निकाले मुझे आजमाने में
अब साथ छोड़ दिया है उसने मेरा
तभी बुलाया गया मुझे मयखाने में
अब वो कभी याद नहीं आते मुझे
क्योंकि मैं खोया हूँ किसी मयखाने में
✍️ रमाकान्त पटेल

Language: Hindi
569 Views

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