मैं खानाबदोश रहा
******* मैं खानाबदोश रहा *******
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ज़फाएं सह कर भी मैं खामोश रहा
वफाएं निभा कर भी मैं खामोश रहा
ज़माने भर का यह असूल है अमूमन
हंसती रही दुनिया पर मैं फ़रामोश रहा
बहुत से उजड़े हुओं को बसाया मैंने
घर बसा कर भी मैं ख़ानाबदोश रहा
दर बदर जिंदगी में ठोकरे खाता रहा
वादाफ़रामोश में .खुदफ़रामोश रहा
बेतकल्लुफ होकर तकल्लुफ़ से निभाई
होश में रह कर भी सदैव बेहोश रहे
सुखविंद्र सत्यमार्ग पर सत्यनिष्ठ रहा
पीठ पर सह कर भी सीने में जोश रहा
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)