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16 Sep 2018 · 1 min read

मैं क्यों लिखता हूं

बहुत 4 पंक्तियों का जन्म हुआ आप तक पहुंचाता हूं कि मिस्टर शाहजहां एक बार फिर इस दुनिया में आओ अरे इस बार आगरा में नहीं भोपाल में अपनी महफिल जमा हो बनवाया होगा जमाने में तुमने ताजमहल आज के जमाने में भोपाल में दो रुम किचन बना कर दिखाओ आज मिल जाती है स्वयं सैकड़ों मुमताज लहू में कतरा भी मोहब्बत का नहीं संगमरमर पर टिकी हुई है सबकी नजर जरूरत है

Language: Hindi
1 Like · 257 Views
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