मैं क्या लिखूँ….. तुमको प्रिये….?
मैं क्या लिखूँ… तुमको प्रिये…?
तुम कितनी मेरी खास हो….
मदहोश जो कर जाए मुझे…
वो चढ़ा हुआ उन्माद हो….!
ग्रीष्मऋतु का ताप हो…
सावन में बरसता आब हो…!
श्रृंगार मद में सराबोर…
तुम अल्हड़ जल प्रपात हो…
मन को जो भा जाए ,प्रिये..!
वो अनकही हर बात हो,
मैं कर्मयोगी …तेरी राह का,
तुम भाग्यदेव की बिसात हो!
देखकर जिसको मन हरषे…
वो चाँदनी सौगात हो…
मैं क्या लिखूँ… तुमको प्रिये!
तुम कितनी मेरी ख़ास हो….?
“अनुराधा पाण्डेय”