मैं कौन हूँ, क्या हूँ?
मैं कौन हूँ, क्या हूँ, कैसा हूँ?
यह बताना ज़रूरी है क्या?
आपको तो सब पता है
मैं क्या, कैसा और क्यों हूँ
पर एक बात जरूर है
मैं जैसा भी हूँ ठीक हूँ
और मैं ऐसे ही रहना भी चाहता हूँ।
आप मुझे स्वीकार करें, जरुरी भी नहीं
मैं आपको विवश करने वाला होता कौन हूँ।
पर एक बात साफ कर दूँ
मैं नहीं खुद को बदलने वाला
आपके स्वभाव से तालमेल बिठाने वाला।
बदलाव चाहते हैं तो आप खुद को बदलिए
अपनी सुविधानुसार मेरे अनुरूप बनिए
आप खुश रहिए और हमको भी खुश रखिए।
बेवजह की उलझनों से भी बचिए
मैं जैसा भी हूँ, वैसे ही स्वीकार करिए
मुझे बदलने की कोशिश में
अपना समय व्यर्थ मत करिए।
फिर भी बदलाव का इतना शौक, इतनी उत्कंठा है तो
यह प्रयोग पहले अपने आप पर कीजिए।
क्योंकि मेरे जीने का यही तरीका है
हर किसी को अपने ढंग से
जीने का अधिकार भी है,
हम उसे पसंद करें, तो अच्छा है,
और नापसंद करें हैं, तो यह सबसे अच्छा है।
इससे किसी की स्वतंत्रता का हनन भी नहीं होगा
हम हों या आप, दोनों पर
किसी तरह का मानसिक दबाव भी नहीं होगा।
फिर आपको हमसे पूछने की जरूरत ही नहीं होगी,
कि मैं कौन हूँ, क्या हूँ, कैसा हूँ?
क्योंकि ये आपको पहले से ही बेहतर पता होगा,
तब आपका भी जीवन आज से बेहतर होने के साथ बहुत बहुत बहुत खुशहाल होगा,
और मानसिक तनावों से हमारा, आपका
कोई रिश्ता भी नहीं होगा।
सुधीर श्रीवास्तव
गोण्डा उत्तर प्रदेश