मैं कैसे उसे भुलाऊँ
*** मैं कैसे उसे भुलाऊँ ***
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भला मैं कैसे उसे भुलाऊँ,
बात दिल की किसे बताऊँ।
कोने कोने में प्यार समाया,
किस कोने में उन्हें बिठाऊँ।
हर पन्ना मोहब्बत में रसीला,
किताब प्रेम की किसे पढ़ाऊँ।
छुप छुप कर हैं देखा करते,
सामने आने पर नैन झुकाऊँ।
देखते ही सूखा कंठ भर आए,
मन की बात नहीं मैं कह पाऊँ।
जीवन खुशियों से भर जाएं,
दर दर जा कर शीश झुकाऊँ।
मनसीरत रूप की है वो रानी,
बाँहों का हार गले में पाऊँ।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)