मैं कुछ-कुछ तेरे जैसा हूँ
तू मेरे जैसा नही
पर, मैं
कुछ-कुछ तेरे जैसा हूँ
मैं तुझ में नही
पर तू
मुझ में फैले आसमां जैसा है
मैं दर्द पे भी हंसता हूँ
तू दर्द में ही पलता रहता है
दिन रात जलता रहता है
मैं कुछ-कुछ तेरे जैसा हूँ
…सिद्धार्थ
तू मेरे जैसा नही
पर, मैं
कुछ-कुछ तेरे जैसा हूँ
मैं तुझ में नही
पर तू
मुझ में फैले आसमां जैसा है
मैं दर्द पे भी हंसता हूँ
तू दर्द में ही पलता रहता है
दिन रात जलता रहता है
मैं कुछ-कुछ तेरे जैसा हूँ
…सिद्धार्थ