मैं कुछ कहना चाहता हूं
मैं कुछ कहना चाहता हूं
मुझको आज मत रोको
बड़ी मुश्किल से हिम्मत की है
मुझको आज मत टोको
दिल में तो बसी है तू
सामने क्यों नहीं आती
सबकुछ चला जाता है
तेरी याद क्यों नहीं जाती
जाने क्या चाहती है तू
मुझको क्यों नहीं बताती
दूर रहकर सताती है मुझे
कभी करीब क्यों नहीं आती
हो गया है जीना मुश्किल
जबसे तुझको देखा है मैंने
हो गई है सारी चाहतें खत्म
जबसे तुझको चाहा है मैंने
हर तरफ तू ही नज़र आता है
बस मेरे सामने नहीं आता
भर लूंगा अपनी बाहों में तुम्हें
है ये ख्याल भी सुकूं दे जाता
तू कब समझेगा मेरा प्यार
इन आंखों में तो झांक ज़रा
आकर मेरी ज़िंदगी में अब
मेरी किस्मत तो संवार ज़रा
तड़पाया है बहुत तुमने मुझे
अब खुशियों की सौगात भी दे
मेरे दिल में बसे हो बहुत दिनों से
अब अपने दिल में बसा भी दे
तुम ही तो हो चाहत मेरी
आकर ज़िंदगी को संवार मेरी
पूरी कर मेरे दिल की आरज़ू
बनकर तू अब ज़िंदगी मेरी।