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17 May 2023 · 1 min read

मैं किताब हूँ

मैं किताब हूँ.
जिल्द में बंद हूँ.
पर रूह से आज़ाद हूँ.
आंसू भरी आँख,
के खिलखिलाते मोती,
से भरा थाल हूँ,
सांसो की लय पर
गूंजते मौन का,
बेबाक तराना हूँ.
जलते दीप के
साये से लिपटे
परवाने की जिद हूँ.
बेकल मन को
आश्वस्त करती
प्यार की थपकी हूँ.
उम्र के पायदान
पर मिलीजुल्फ
की सफेदी हूँ.
बरसों तक सहेज
कर रखी माँ की
गोटे वाली साड़ी हूँ .
मैं फलसफा हूँ,
रब की इबादत हूँ
जीवन का हिसाब हूँ.
तुम्हारे स्पर्श को,
तरसती बांसुरी बन
बजने को बेताब हूँ,
अपना लो ,
गले लगा लो,
मैं किताब हूँ.

Language: Hindi
361 Views

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