मैं कदम यह नहीं उठाता
मैं कदम यह नहीं उठाता, अगर समझा होता मुझको।
तुम्हारा नहीं मैं होता दुश्मन, कहा होता अपना मुझको।।
मैं कदम यह नहीं उठाता—————।।
तुमने वह मेरे साथ किया है, करता नहीं जो दुश्मन भी।
होता नहीं बदनाम ऐसे मैं, अपनाया होता गर मुझको।।
मैं कदम यह नहीं उठाता—————–।।
लोग यहाँ अब कर रहे हैं , चर्चा तुम्हारी मोहब्बत की।
होते नहीं तुम बदनाम ऐसे, प्यार दिया होता मुझको।।
मैं कदम यह नहीं उठता——————।।
छोड़ो मुझ पर इल्जाम लगाना,छोड़ जावो यह शहर।
होता नहीं मुझसे गुनाह यह, दिल में रखा होता मुझको।।
मैं कदम यह नहीं उठाता——————।।
मेरी वफाई समझी नहीं , देखकर मेरे आँसू तुमने।
होते नहीं दूर दिल से तुम, किया होता आबाद मुझको।।
मैं कदम यह नहीं उठाता——————।।
शिक्षक एवं साहित्यकार-
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)