मैं और मेरी हिंदी
रोना धोना और हँसाना ये सब सिखाया हिंदी ने,
कहना सुनना और सुनाना भी तो सिखाया हिंदी ने,
माँ की ममता पिता का प्यार, जज्बात बताये हिंदी ने,
पुरुष को पौरुष, स्त्री को श्रृंगार ये सब बताया हिंदी ने,
हिन्दू मुस्लिम सिक्ख ईसाई इन सबको मिलाया हिंदी ने,
मातृ भूमि की रक्षा करना भी तो सिखाया हिंदी ने,
कृष्ण की गीता राम के आचरण हमको सिखाये हिंदी ने,
मानवता का पाठ पढ़ाकर उज्जवल बनाया हिंदी ने,
हिंदी है गंगा की धारा हिंदी हिमालय सी शान है,
हिंदी हर दिल में है बसती, ये हर भारतीय की जान है,
आज विश्व के उस पटल पर पहचान दिलाई हिंदी ने,
भर के फिर से जोश नया एक आग लगाई हिंदी ने ।
।। आकाशवाणी ।।