मैं और मेरी जिंदगी
,हंसती खिलखिलाती सी जिंदगी
अक्सर यूं ही रूठ जाया करती है
दिखाकर सप्तरंग सपने श्वेत श्याम हो जाती जिंदगी
भाग जाती छूट जातीमेरे हाथों से
करूं कितना जतन ना हाथआती जिंदगी
सपनों से जगाकर हकीकत में छोड जाती जिंदगी
कभी लगती नर्म हाथों सी जिंदगी
कभी बेबस हाथों को बॉंध जाती जिंदगी
फूटती आंखो सेकभी खुशी कभी गम जिंदगी
एक अनसुलझी सी पहेली जिंदगी
हर पल इक नया मोड जिंदगी
मै और मेरी जिंदगी
नूतन