मैं और मेरी कामयाबी …
मैं और मेरी कामयाबी अक्सर बातें करते हैं,
हकीकत में नहीं ख्वाबों में बातें करने लगते हैं।
कहती हूं उससे तेरे बिन अच्छा नही लगता,
हर ख्वाब तेरे बिन मुझे अधूरे से लगते हैं।
कभी तो महसूस होता है तू मेरे बिल्कुल पास है ,
और कभी तेरे मेरे बीच सदियों के फासले लगते है।
हुनर दिया खुदा ने बहुत मगर किस्मत नही दी ,
जितना तेरे पास आऊं,फासले और बढ़ जाते है।
मुझे भी तेरे दर से कुछ तो बख्शीश मिल जाए ,
दिन रात खुदा से तेरे लिए दुआ में हाथ उठते हैं।
तू मिलती भी होगी लेकिन एक फरेब के साथ ,
या इंसानों यूं ही दिलों में अपने वहम पालते है।
ऐसा तो नहीं ना तू किसी को मिलती न हो ,मगर
तुझे पाने वाले तो बड़ी किस्मत वाले ही होते हैं।
तू एक झलक दिखलाती है मुझे और फिर गायब!,
इस आंख मिचौली में मेरे कितने यकीन टूटते है।
रफीक मुझे मना करते है सदा तेरे पीछा करने को ,
मगर जब बढ़ा दिए इश्क में कदम पीछे कहां हटते है!
ए मेरी मंजिल ! अब तो बता दे तू ठिकाना अपना,
तेरी ऐसे बेरुखी से कदम और होंसले टूटने लगते है।
अब तो जिंदगी की शाम हो चुकी ,रात होनी बाकी है,
मगर अरमानों का क्या ! ,वो तो अब भी भटकते है।