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11 May 2024 · 1 min read

मैं और तुम

मैं निर्जन मे उड़ता बादल सा,
तुम शीतलता का ठहराव लिए….

मैं अट्टहास उद्वेलित सा,
तुम सुरमयी मधुर आवाज लिये…..

मैं अंतहीन परिसीमन सा,
तुम प्रेम की त्रिज्या व्यास लिए….

मैं छद्मभाव मे तत्पर सा,
तुम अमिय सी सुंदर मुस्कान लिए…

मेरा रूपक सा ही प्रलाप रहा,
तुम सतत् धीर प्रवाह लिए…..

मै तभी प्रतीक्षारत हूँ अब भी,
तुम हो प्रणय प्रसाद लिए….

©विवेक’वारिद’ *

Language: Hindi
43 Views
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