मैं एक मजदूर हूं
मैं एक मजदूर हूं,
महीने के अंत में ₹3000 कमाने वाला
मैं एक मजदूर हूं,
मेरा परिवार मुझसे दूर है
मेरी बूढ़ी मां ,
मुझे ना देख पाने पर मजबूर है….
तीज त्योहार पर, घर कम ही जा
पाता मैं, याद आती है बच्चों की
पर उन्हें कम ही देख पाता मैं…
उनकी खुशी के लिए, उनसे दूर
रहने पर, मैं मजबूर हूं
मैं एक मजदूर हूं।।
मुझे काम 10 दिन का मिलेगा,
या फिर 1 दिन का
मुझे नहीं पता
मालिकों की सरपरस्ती में
काम करने पर , मैं मजबूर हूं
मैं एक मजदूर हूं।।
दर्द मुझे भी होता है,
दिल मेरा भी रोता है
अपनों के साथ थोड़ा रो लूं
थोड़ा हंस लूं
जी मेरा भी करता है
पर परिवार की
भूख संभालने के लिए
मैं मजबूर हूं
मैं एक मजदूर हूं।।
आज शहर में सन्नाटा छाया है
सुना है, कोरोना नाम का कोई राक्षस आया है
इस राक्षस से सभी डरे हुए हैं
मैं तो गरीब मजदूर हूं साहब
पर देखता हूं, अमीर भी इससे डरे हुए हैं
इस राक्षस के आतंक से
मेरे महीने की कमाई अब बंद है
रहता था मैं, बस्ती के छोटे से कमरे में
कुछ दोस्तों के साथ,
पर मकान मालिक के दरवाजे भी
अब हमारे लिए बंद है
भूख बहुत लगती है साहब,
पर क्या करूं, गरीब मजदूर हूं ना
हमारे लिए सरकार की दरवाजे भी बंद हैं।
घर को अपने जा नहीं सकता मैं
क्योंकि अब पूरा देश ही बंद है,
बहुत भूख लगी थी साहब,
तो सोचा सड़क पर निकल जाऊं
चलते चलते ही सही,
अपने घर तक पहुंच जाऊं
वहां मां है मेरी, भूखा भी रहा
तो मां की गोद में सो जाऊंगा
पर लोग मुझे दुत्कार रहे हैं
क्योंकि मैं भीड़ बढ़ा रहा हूं
लोग कहते हैं मुझे
मैं उस राक्षस से हाथ मिला रहा हूं
पर कहते भी हैं तो ठीक है
हाथ मिलाने को, मैं मजबूर हूं
मैं एक मजदूर हूं।।