मैं एक बीबी बहन नहीं
मैं एक बीबी बहन नहीं
बस एक कठपुतली हूँ
हा बड़ा अटपटा सा लगता हैं
आजाद देश में ,बंदिशो में जकड़ी
एक कैदी हूँ मैं
ना जाने कब से ,ना जाने कब से
ना खुल के हँसी ,न रोई
ना गाई”न नाची
जब भी दो पल अपने लिए चाहे तो
बस मिली झिड़कियां…
क्या जब देखो…ये करती रहती हो
सारी जिंदगी इस पुरूष रूपी समाज को दी
ईमानदारी,मेहनत,इज्जत, और प्यार
और मिला क्या
सिर और सिर्फ झिड़कियां….
क्या हम आजाद है
जहाँ हम न खिल सकते,न खुल के सांसे ले सकते
ये समाज हमे जीने क्यों नही देता
रोज़ रोज़ अलग अलग नसीहतें क्यों देता है
क्या कभी ये नही हो सकता
कि कोई हमसे पूछे कि
हम क्या चाहते हैं।….
तो शायद हम सभी का यही जवाब होगा
कि सिर्फ और सिर्फ सम्मान….💐💐💐💐💐💐
कभी कोई गंदा मजाक करता है…
तो कोई बॉडी शेमिंग करता है…
आखिर ये समाज चाहता क्या है हम औरतों से
हम सिर्फ इनके हाथों की कठपुतली बन जाये …तो ये खुश होंगे….
शायद ही इनको कोई खुश कर सकता हैं।
मैं एक बीबी बहन नहीं
बस एक कठपुतली हूँ💐💐💐💐💐💐💐