मैं एक दिन खुद को युधिष्ठिर
मैं एक दिन खुद को युधिष्ठिर
और अपने साहिबों को द्रोपदी करूंगी…
और खोज के अरब देशों से लाऊंगी
किसी दुर्जेय दुर्योधन को
जिसका सुयोधन से संग साथ छूटे
कई जन्मों पीछे की बात हो
और खेलूंगी एक जुआ
और लगा दूंगी दांव पे
द्रोपदी किए गए लोगों को
और हार जाऊंगी उसे जान बूझ कर
फिर पूछूंगी, बताओ कैसा लगता है?
जब कोई आप के जीवन
और जीने के तमाम हको हुकूक को दाव पे लगा दे ?
~ सिद्धार्थ