मैं एक तितली हूं
मैं एक तितली हूं
इस संसार रूपी बगिया में
मुझे एक फूल ऐसा नहीं मिल रहा
जिस पर बैठकर
मैं पल दो पल सांस ले लूं
थोड़ा आराम कर लूं
अपने दुख दर्द किसी से बांट लूं
न जाने कैसी बगिया है
कहीं से कोई सुगन्ध तो आती नहीं
लगता है सारे फूल मुर्झा
गये हैं
जमीन पर कहीं इधर उधर पड़े हैं
यह संसार शायद फूलों का
गुलशन नहीं
एक कांटों का जंगल है
कभी गलती से फूल समझ
किसी कांटे के सम्पर्क में जो
आ गई तो
काट न डाले वह मेरा गला
अपने तन में धारण की हुई सोच की
नुकीली धार से।
मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001