मैं एक किस्सा हूं
मैं एक बीते हुए कल का किस्सा हूं ।
तू मेरे आने वाले कल का इक सपना ।।
मैं ज़रिया हूं, बया तुझे करने का ।
तु मेरी कहानी का एक हिस्सा ।।
शब्दो में लिखता तुझको ।
ओर होठों से करता बया ।।
मेरे सपनों की तू है हक़ीक़त ।
तू ना जाने कितनों का टूटा एक सपना ।।
में टहरा हुआ सा एक दरिया हूं ।
तू बहता कोई झरना ।।
तू बहता कोई झरना …….।