Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
11 Feb 2021 · 1 min read

मैं इश्कबाज़ नहीं

हे रूप मंजरी देख तुम्हें
मन में ना कोई भाव जगा
मैं व्यक्ति सिद्धांतवादी हूँ
अपने पर ज़्यादा भाव ना खा
हाँ देख लेता कभी तुम्हें
पर मैं इश्कबाज़ नहीं

जो तुम समझो इश्कबाज़ मुझे
तो देखती तो तुम भी हो
ये कोई एकल आगाज़ नहीं
पर मैं इश्कबाज़ नहीं

तुम पूर्णिमा की चांद हो या परियों की रानी
तो मैं भी हूँ संस्कार और संस्कृतियों का पुजारी करना चाहता नहीं नादानी
किंतु कोई भाव हो तो निःसंकोच कहना
सारंग सुन लेता हर बात बेजुबानी
रब से मिली मोहक छवि से बनो न अभिमानी
नहीं तो कलयुग में भी अकेली,रह जाओगी राधा रानी
नैन लड़ें फ़िर कभी
तो समझना ये एकल आगाज़ नहीं
पर मैं इश्कबाज़ नहीं

मन में ना ऐसा भाव सँजोता,जो डिग जाए अरमानों से
सारंग करता है कार्य वही जो जुड़ा रहे स्वाभिमानों से
एक दिली ख्वायिस रहती है
कोई ना मेरा मोहताज बनें
पर मैं कोई सरताज नहीं
मैं इश्कबाज़ नहीं

सर्वेश यादव(सारंग)

11 Likes · 105 Comments · 479 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
नफ़रतों की बर्फ़ दिल में अब पिघलनी चाहिए।
नफ़रतों की बर्फ़ दिल में अब पिघलनी चाहिए।
सत्य कुमार प्रेमी
अब क्या बताएँ छूटे हैं कितने कहाँ पर हम ग़ायब हुए हैं खुद ही
अब क्या बताएँ छूटे हैं कितने कहाँ पर हम ग़ायब हुए हैं खुद ही
Neelam Sharma
हमनवा
हमनवा
Bodhisatva kastooriya
💐प्रेम कौतुक-159💐
💐प्रेम कौतुक-159💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
चाय की चुस्की लेते ही कुछ देर तक ऊर्जा शक्ति दे जाती है फिर
चाय की चुस्की लेते ही कुछ देर तक ऊर्जा शक्ति दे जाती है फिर
Shashi kala vyas
*छल-कपट को बीच में, हर्गिज न लाना चाहिए【हिंदी गजल/गीतिका】*
*छल-कपट को बीच में, हर्गिज न लाना चाहिए【हिंदी गजल/गीतिका】*
Ravi Prakash
गर्मी आई
गर्मी आई
Dr. Pradeep Kumar Sharma
तुम नहीं बदले___
तुम नहीं बदले___
Rajesh vyas
अपनी नज़र में
अपनी नज़र में
Dr fauzia Naseem shad
किसी के प्रति
किसी के प्रति "डाह"
*Author प्रणय प्रभात*
"In the tranquil embrace of the night,
Manisha Manjari
प्याली से चाय हो की ,
प्याली से चाय हो की ,
sushil sarna
पिता
पिता
Dr Manju Saini
आइए मोड़ें समय की धार को
आइए मोड़ें समय की धार को
नंदलाल सिंह 'कांतिपति'
यह  सिक्वेल बनाने का ,
यह सिक्वेल बनाने का ,
ओनिका सेतिया 'अनु '
झूठे सपने
झूठे सपने
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
अन्तर्मन को झांकती ये निगाहें
अन्तर्मन को झांकती ये निगाहें
Pramila sultan
सुनो जीतू,
सुनो जीतू,
Jitendra kumar
"स्मार्ट कौन?"
Dr. Kishan tandon kranti
चक्रव्यूह की राजनीति
चक्रव्यूह की राजनीति
Dr Parveen Thakur
सत्य न्याय प्रेम प्रतीक जो
सत्य न्याय प्रेम प्रतीक जो
Dr.Pratibha Prakash
मैं लिखता हूँ जो सोचता हूँ !
मैं लिखता हूँ जो सोचता हूँ !
DrLakshman Jha Parimal
2813. *पूर्णिका*
2813. *पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
दया के सागरः लोककवि रामचरन गुप्त +रमेशराज
दया के सागरः लोककवि रामचरन गुप्त +रमेशराज
कवि रमेशराज
मजदूर की अन्तर्व्यथा
मजदूर की अन्तर्व्यथा
Shyam Sundar Subramanian
राम के नाम को यूं ही सुरमन करें
राम के नाम को यूं ही सुरमन करें
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
वीर वैभव श्रृंगार हिमालय🏔️☁️🌄🌥️
वीर वैभव श्रृंगार हिमालय🏔️☁️🌄🌥️
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
आज हमने सोचा
आज हमने सोचा
shabina. Naaz
चलो माना तुम्हें कष्ट है, वो मस्त है ।
चलो माना तुम्हें कष्ट है, वो मस्त है ।
Dr. Man Mohan Krishna
जुबां पर मत अंगार रख बरसाने के लिए
जुबां पर मत अंगार रख बरसाने के लिए
Anil Mishra Prahari
Loading...