“मैं इंसान हूँ”
ना मैं हिन्दू हूँ ना मैं मुसलमान हूँ
इंसान की औलाद हूँ मैं इंसान हूँ
ना मन्दिर हूँ कोई ना मस्ज़िद हूँ
ईंटो का वज़ूद मेरा मैं इक़ मकान हूँ
ना मैं अजर हूँ ना ही मैं अमर हूँ
माटी की बनी कब्र हूँ या मसान हूँ
ना मैं अमीरज़ादा कोई ना गरीब हूँ
मुसाफ़िर हूँ ज़िन्दगी का मैं हैरान हूँ
ना मैं गीता हूँ ना ही मैं कुरान हूँ
इंसानियत हूँ इंसानियत की ज़ुबान हूँ
ना कोई मज़हब मेरा ना कोई कारवाँ
इस जमीं पर चन्द दिनों का मेहमान हूँ
___अजय “अग्यार