मैं…. इंतजार में हूँ प्रिये
मैं…..
इंतजार में हूँ प्रिय
तुमने वादा किया था
जो आने का
कि मैं आऊँगी
और सराबोर कर दूँगी
तुम्हें अपने प्यार के
सुनहरे रंगों से
मगर कितने फागुन
आए और चले गए
पर तुम न आई
याद है न तुम्हें
एक बार फाग में
मैं तुम्हारे मखमली चेहरे पर
गुलाल लगा बैठा था
और तुमने मुझे
पलटकर गुस्से में देखा
मगर एक पल में ही
आग बरसती आँखों में
रंगीन बादल तैर गए थे
और फिर भिगो डाला था
तुमने मुझे रंगों की बारिश से
तन के साथ मेरा मन भी
और फिर इस तरह
हमारे प्यार की बेल
फलने-फूलने लगी
लेकिन एक दिन
वादा किया था तुमने
सनम जाते हुए
कि मैं आऊँगी
और सराबोर कर दूँगी
तुम न आई मगर
रोज आती हैं
बस वे तुम्हारी यादें
पर यकीन है मुझे
तुम जरूर आओगी
इसलिए बैठ जाता हूँ आकर
अपने गाँव की
इकलोती पगडंडी पर
निहारता रहता हूँ अपलक
कहीं तुम सामने से न निकल जाओ
भले ही पथरा जाएँ ये आँखें
पर मैं रोज आऊँगा
तुम्हारा इंतजार करने
क्योंकि तुमने वादा किया है
कि तुम जरूर आओगी
और इस होली
सराबोर कर दोगी मुझे
अपने प्यार के सुनहरे रंगों से
सोनू हंस