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19 Sep 2021 · 1 min read

मैं आम आदमी हूँ

सड़क किनारे पे खड़ा हुआ मैं एक सवाल हूँ
मैं मुल्क की आवाम का ख़ामोश सा ख़्याल हूँ
मैं चुप रहूँ तो ठीक हूँ मैं कुछ कहूँ बवाल हूँ
मलाल हूँ निढाल हूँ मगर ग़ज़ब मजाल हूँ।
कभी मैं खून हूँ कभी खून का उबाल हूँ
हाँ मैं उसी खून से सना हुआ रुमाल हूँ
मैं आम आदमी हूँ हर रोज़ ही हलाल हूँ
मलाल हूँ निढाल हूँ मगर ग़ज़ब मजाल हूँ।

-Johnny Ahmed ‘क़ैस’

Language: Hindi
2 Comments · 251 Views

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