“मैं आग हूँ , तू पानी है”—कविता
मैं आग हूँ तू पानी है
मैं तपिश तू रवानी है
मैं नज़र हूँ तू आईना
मैं प्यास हूँ तू जवानी है
मैं मुसाफ़िर हूँ तू साहिल है
मैं साहिर हूँ तू आदिल है
मैं तड़पन हूँ तू राहत है
मैं दिल का राजा तू रानी है
मैं आग हूँ तू पानी है………
मैं ज़ालिम हूँ तू जालिमा
मैं सूरज हूँ तू लालिमा
मैं जिस्म हूँ तू रूह मेरी
मैं नींद हूँ तू ख़्वाब है
मैं काँटा हूँ तू गुलाब है
मैं अल्फ़ाज़ हूँ तू जज्बात है
मैं याद हूँ तू निशानी है
मैं क़लम हूँ तू कहानी है
मैं आग हूँ तू पानी है………
मैं चैन हूँ तू मेरा सुकून है
मैं क़ाबिल हूँ तू ख़ातून है
मैं अनजाना तू अनजानी है
मैं बादल हूँ तू तूफानी है
मैं गीत हूँ कोई तू प्रीत है
मैं निबाह हूँ कोई तू रीत है
तेरा अंग अंग गुमानी है
मैं रूखा हूँ बहुत तू धानी है
मैं आग हूँ तू पानी है……..
मैं आशिक़ हूँ तू आशिक़ी
मैं दर्द-ए-दिल तू मौशिकी
मैं दीवाना हूँ तू दीवानगी
मैं आवारा हूँ तू आवारगी
मैं पतंग हूँ तू डोर है
मैं लहर हूँ तू छोर है
मैं इल्तिज़ा तू रूहानी है
मैं सारंगी तू कमानी है
मैं आग हूँ तू पानी है……..
—-अजय “अग्यार