मैं अपनी आँख का ऐसा कोई एक ख्वाब हो जाऊँ
मैं अपनी आँख का ऐसा कोई एक ख्वाब हो जाऊँ
किताब ए शक्ल में मैं अपनी एक किताब हो जाऊँ
तमन्ना आज दरवाजे पर दस्तक दे रही है और
है मुझसे पूछती,,कहिए जी क्या अंदर में आ जाऊँ
मैं अपनी आँख का ऐसा कोई एक ख्वाब हो जाऊँ
किताब ए शक्ल में मैं अपनी एक किताब हो जाऊँ
तमन्ना आज दरवाजे पर दस्तक दे रही है और
है मुझसे पूछती,,कहिए जी क्या अंदर में आ जाऊँ