मैं अकेला बचा हूं
मैं अकेला बचा हूं
जमाने के शोर से लड़कर
अपना पूरा ध्यान उसकी तरफ रखा हूं
मैं अकेला बचा हूं….
वो बहुत सोचकर बोलता है…..
धीमे स्वर मंद गति से
लफ्जों को तोलता है…
वो बहुत सोचकर बोलता है
उसके इंतजार में
दरख्त के सारे पत्ते झड़ गए…
बरसों से जमे हुए पैर
लड़खड़ाकर जमीं से उखड़ गए….
पर!
मैं उसके प्रथम या शायद अन्तिम शब्द के इन्तजार में अब तक यहीं खड़ा हूं
मैं अकेला बचा हूं…