मैं अंबेडकर बोल रहा हूं!
“सवालों में रहता हूं !
जवाबों में रहता हूं!!
मूर्तियों में नहीं, मैं-
किताबों में रहता हूं!!
हक़ के लिए
उठने वाली
बेख़ौफ़ और बेबाक
आवाज़ों में रहता हूं!”
“सवालों में रहता हूं !
जवाबों में रहता हूं!!
मूर्तियों में नहीं, मैं-
किताबों में रहता हूं!!
हक़ के लिए
उठने वाली
बेख़ौफ़ और बेबाक
आवाज़ों में रहता हूं!”