मैं अंतिम स्नान में मेरे।
मैं अंतिम स्नान में मेरे।
मेरे अपने पास रहेंगे, दूर रहेंगे पता नहीं है,
संबंधों का जग स्वतंत्र है, वृक्ष से लिपटी लता नहीं है,
क्या उस पल मैं वहां रहूंगा, यह भी नहीं ज्ञान में मेरे।
मैं अंतिम स्नान में मेरे।
शीघ्र मिलेगी मुक्ति मुझे , या दिन दो चार ठहरना होगा,
संबंधों के शेष ऋणों की खातिर, मुझको रुकना होगा,
कितना समय लगेगा जाने, उस अंतिम प्रयाण में मेरे।
मैं अंतिम स्नान में मेरे।
जीवित था तब पास न आए, क्या वे शव पर घृत मलेंगे,
जीवन भर जो ताप रहे क्या, देह दाह तक साथ रहेंगे,
नहीं चाहता बात ये सोचूं, आ जाती पर ध्यान में मेरे।
मैं अंतिम स्नान में मेरे।
Kumar kalhans