मैंने तुमको ही तो बस याद किया था …
सड़क से लेकर बाहन तक
पटरी से लेकर ट्रेन तक
अल्साई फूलों पे बैठी तितली से लेकर
फूलों को पानी देते माली तक
खाना बनाती औरतों से लेकर
पतंग लुटते बच्चे तक
औजार लिए खड़े लेबर चौक के मजदूर से लेकर
ऊंचे भवनों पे रंगों कि बाल्टी लिए लटके रंगरेज तक
खेतों में खडी फसलों से लेकर
फसलों को चाटती कलमुही टिड्डी तक
सब तनहा ही लगे मुझे
और सब को देखते देखते
मैंने सिर्फ और सिर्फ़ तुम्हें याद किया था
मुदा, ये मैंने क्यूॅं किया था … ???
मुदा, मैंने तुमको ही तो बस याद किया था …
~ सिद्धार्थ