मैंने कुछ सीखा
उन कठिन दिनों में मैंने,
इस जीवन से कुछ सीखा ।
रुकी थी जब सारी दुनिया,
लोगों को घरो में कैद देखा ।
दिलो में था डर और लाचारी,
विश्व में फैली थी जब महामारी।
तब शांत अंतर्मन से मैंने,
इस जीवन से कुछ सीखा ।
ये सीख थी बहुत अनमोल,
जो राज रही थी ये खोल ।
कि इस जीवन का जग में,
सबसे बड़ा है मोल ।
लाख कर ले इंसान जतन ।
धन और दौलत कमाने में,
पर क्षण नहीं लगता है ,
इस जीवन को गवाने मे ।
इस ज़िंदगी के आगे हर,
धन और दौलत है फीका ।
उन कठिन दिनों मे मैंने ,
इस जीवन से कुछ सीखा ।
हे मानव जाति करो तुम,
इस जीवन का सम्मान ।
इस प्रकति को तुम पूजो,
न बनाओ यंत्रों को भगवान ।
इस प्रकृति कि गोद में ही,
ये जीवन पल पायेगा ।
जो हो गए तुम दूर इससे,
तो प्रलय ही आयेगा ।
नहीं है इस जग में कुछ भी ,
इस मानव जीवन सरीखा ।
उन कठिन दिनों मे मैंने ,
इस जीवन से कुछ सीखा ।