मैंने इस व्यापार में घाटा न खाया है।
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हमने इस व्यापार में घाटा न खाया है।
जब भी बांटा दोगुना ही प्यार पाया है।
आदमी वो देवता से कम नहीं होता,
मुफलिसों को जिसने सीने से लगाया है।
आप भी कर लो प्रकति से प्रेम मुझ जैसा,
हमने मरुथल मे भी प्यारा गुल खिलाया है।
गर्दिशों में कौन किसका मान लो लेकिन,
आदमी ही आदमी के काम आया है।
मंदिरों मस्जिद में तू गर जा नहीं पाया,
तूने मरहम बन किसी को मुस्कराया है।
एक आकर्षण बनों सब पास आयेंगे,
चाँद मुझसे मिलने मेरी छत पे आया है।
दिल लगा ले जिंदगी खुशियों में बीतेगी,
मैंने प्रेमी बन तुम्हीं से दिल लगाया है।
…….✍️ प्रेमी