“मैंने अमीरों का घर और गरीबों का दिल बड़ा देखा है”
मैंने अमीरों का घर और गरीबों का दिल बड़ा देखा है।
अक्सर छोटे पौधों को ही, मैंने तूफ़ान में जमीन पर टिके देखा है। मैंने बहुत छोटी छोटी ख्वाहिशों को भी,
जिम्मेदारियों के चलते दबे देखा है।
अक्सर पिताजी को, झूठी हंसी हंसते देखा है।
मैंने फूलों को मुरझाते,
और उसकी खुशबू को उड़ते देखा है।
अक्सर अपनी मां को, पल-पल बिखरते देखा है।
मैंने धूप में छाया के बिना, लोगों को तड़पते देखा है।
अक्सर अपने भाई- बहन को ,
एक एक रुपए को तरसते देखा है ।
मैंने अमीरों का घर और गरीबों का दिल बड़ा देखा है।
अक्सर छोटे पौधों को ही, मैंने तूफ़ान में जमीन पर टिके देखा है।