मैंनें उसको खोया, जो कभी मेरा था ही नहीं।
उसको खोया है जो मेरा कभी था ही नहीँ ।
मुझे उसपे कोई इल्ज़ाम नहीँ लगाना, लेकिन मैं बेवफ़ा था नहीँ
मैनेँ उसपे दाँव लगाया था जो मेरे साथ चलना नहीँ जानता था।
वो कभी चला ही नहीँ और मैं कभी थका नहीँ ।
वो हाथ छोड़ देता था सरेराह मेरा…
लेकिन मैं फिर भी कभी उसे छोड़ के भगा नहीँ ।
हज़ारों चेहरों में मुझे वो भा गया था ।
उसको छोड़ के किसी और की तरफ़ मैं मुड़ा नहीँ ।
वो तो आज ये भी भूल गया कि मैं उसके लिए मीलों के फासले तय करता था ।
आज बेरुख़ी उसकी ऐसी जैसे मैं कभी उसके लिए गया नहीँ ।
सरेआम लिख के दिखाया मैनेँ ज़माने को अपना इश्क़
या तो उसे मेरा इश्क़ मंज़ूर ना ही था या उसने ये पढ़ा नहीँ ।
डायरी भर डाली मैंनें उसके नाम की
इतना तो मैं school में भी लिखा-पढ़ा नहीँ ।
आज वो किसी और का होने को है ।
पर मेरी वफ़ा देखो आज भी वो मेरा दिल उससे जुदा नहीँ ।
मैनेँ उसके लिए रुतबेदारों, चाँद-तारों को ठुकरा दिया
उसको ये सब कभी दिखा ही नहीँ ।
ये “सुधीरा” है सुधीरा
मतलब के लिए किसी से जुड़ा नहीँ ।