मे अपने पर आऊ तो कुछ भी कर सकता हु –
में अपने पर आऊ तो कुछ भी कर सकता हु –
आसमान को छू सकता हु,
बुलंदियों को पा सकता हु,
दुश्मनों को कर परास्त में ,
जीवन संघर्ष फतह कर सकता हु,
तुम बताओ तुम मेरे लिए इस संघर्ष में क्या कर सकते हो,
जिस प्रकार में मरा क्या उस प्रकार मर सकते हो,
मेने जो किया अपनो के लिए ,
क्या तुम भी वही कर सकते हो,
मेने कष्ट जो झेले अपनो के लिए क्या तुम कष्ट झेल सकते हो,
आज जब अकेला छोड़ रहे हो,
तुमको शर्म नही आती,
लेकिन इतना याद रखना,
में वापिस प्रतिष्ठा को पा जाऊंगा,
जो खोया है मेने में वो वापिस पाऊंगा,
क्योंकि में अपने पर आऊ तो कुछ भी कर सकता हु,
✍️ भरत गहलोत
जालोर राजस्थान