मेहमान है भगवान का एक रूप निराला।
मेहमान
मेहमान है भगवान का एक रूप निराला,
अपनी ये रवायत रही सबसे जुदा आला।
मान हो सम्मान हो समुचित मिले स्थान,
पहले हो उनका भोग तभी तोड़ें निवाला,
सब क्षेम कुशल पूछ वक्त साथ वितायें,
हो भाव अतिथि देव से है घर में उजाला
ईश्वर से करें प्रार्थना दें शक्ति वो ऐसी,
होकर प्रसन्न जाये अतिथि घर आने वाला
जिस घर में अतिथि देव का आदर सदैव है
उस घर को स्वयं ईश ने वर दे के संभाला।
अनुराग दीक्षित