Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
10 Jul 2021 · 1 min read

मेहनत का फल मीठा

राम गाँव से शहर में पढ़ाई करने आया था। पारिवारिक स्थिति अच्छी नहीं थी।राम कक्षा छः का विद्यार्थी था।राम के पिता ने पास के विद्यालय में दाखिला दिला दिया था।विद्यालय घर से चार किलोमीटर दूरी पर है।

राम पहले दिन विद्यालय गया ।सभी सहपाठियों को देख मन प्रसन्न था।परन्तु मन में गरीबी कचौंट रही थी…”सबके कंधे पर बाजार के बस्ते सजे थे राम के पास घर का सिला बस्ता था।” पर कोई बात नहीं।सब बच्चे अपनी-अपनी साइकिल से विद्यालय आते थे ।केवल राम ही पैदल विद्यालय आता था।
एक दो दिन बीते राम का मन थोड़ा उदास रहने लगा।

राम पुरानी गणवेश,गंदे से बूट पहनकर जाता था।सभी उसका मजाक बनाते।
यह देख “राम ने अपने सपनों को बिखरते देखा।” राम ने स्वयं को संभाला।विवेक से काम लिया।मेहनत और लगन के साथ गिद्ध सी नजरें अपने लक्ष्य पर ठिका आगे बढ़ने लगा।

राम का नीट परीक्षा में चुनाव हुआ।सरकारी काँलेज मिला ।
कुछ वर्षों बाद राम सरकारी अस्पताल में मस्तिष्क रोग विशेषज्ञ का चिकित्सक बना।

आज राम के पास गाड़ी,घोड़ा बंगला ,नौकर चाकर सब है। आजकल के बच्चों घर से चौराहे तक पैदल नहीं जाते।

ऐश-ओ-आराम का जीवन व्यतीत करना चाहते है।मेहनत से मुँह मोड़ते है या अपनी तोहीन समझते हैं। उन्हें सफल मंजिल कदाचित नहीं मिलती”जो राम जैसे होते है सफलता के शिखर पर पहुँचते है।”

Language: Hindi
3 Likes · 1 Comment · 1426 Views

You may also like these posts

निश्चित जो संसार में,
निश्चित जो संसार में,
sushil sarna
मेघ तुम आओ...
मेघ तुम आओ...
Vivek Pandey
ज़िंदगी
ज़िंदगी
Dr. Rajeev Jain
मुझे मेरी पहचान चाहिए
मुझे मेरी पहचान चाहिए
MEENU SHARMA
अपने हर
अपने हर
Dr fauzia Naseem shad
आजादी का पर्व
आजादी का पर्व
Parvat Singh Rajput
हादसे जिंदगी में मेरे कुछ ऐसे हो गए
हादसे जिंदगी में मेरे कुछ ऐसे हो गए
Shubham Pandey (S P)
मै खामोश हूँ ,कमज़ोर नहीं , मेरे सब्र का इम्तेहान न ले ,
मै खामोश हूँ ,कमज़ोर नहीं , मेरे सब्र का इम्तेहान न ले ,
Neelofar Khan
इतिहास का वो भयावह दिन
इतिहास का वो भयावह दिन
Dr. Kishan tandon kranti
कहो उस प्रभात से उद्गम तुम्हारा जिसने रचा
कहो उस प्रभात से उद्गम तुम्हारा जिसने रचा
©️ दामिनी नारायण सिंह
हर एक मन्जर पे नजर रखते है..
हर एक मन्जर पे नजर रखते है..
डॉ. दीपक बवेजा
प्रयत्नशील
प्रयत्नशील
Shashi Mahajan
बदली बारिश बुंद से
बदली बारिश बुंद से
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
माँ - सम्पूर्ण संसार
माँ - सम्पूर्ण संसार
Savitri Dhayal
मानक
मानक
Khajan Singh Nain
मनोकामना माँ की
मनोकामना माँ की
Sudhir srivastava
सांस के बारे में
सांस के बारे में
Otteri Selvakumar
Things takes time. Just enjoy where you’re now.
Things takes time. Just enjoy where you’re now.
पूर्वार्थ
हे कलमकार
हे कलमकार
sushil sharma
मां जो है तो है जग सारा
मां जो है तो है जग सारा
Jatashankar Prajapati
*01 दिसम्बर*
*01 दिसम्बर*
*प्रणय*
विनाश की ओर
विनाश की ओर
साहित्य गौरव
कोई अवतार ना आएगा
कोई अवतार ना आएगा
Mahesh Ojha
हम कैसे कहें कुछ तुमसे सनम ..
हम कैसे कहें कुछ तुमसे सनम ..
Sunil Suman
लिलि रे
लिलि रे """श्रद्धांजलि!"""""""""
श्रीहर्ष आचार्य
*अति प्राचीन कोसी मंदिर, रामपुर*
*अति प्राचीन कोसी मंदिर, रामपुर*
Ravi Prakash
मुझे किसी की भी जागीर नहीं चाहिए।
मुझे किसी की भी जागीर नहीं चाहिए।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
हम वो हिंदुस्तानी है,
हम वो हिंदुस्तानी है,
भवेश
प्रीति निभाना
प्रीति निभाना
Prithvi Singh Beniwal Bishnoi
3570.💐 *पूर्णिका* 💐
3570.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
Loading...