मेहनत करो और खुश रहो
मेहनत कर, और ले जिन्दगी का आनन्द
किसी की चीज पर नाज करने में क्या मजा है ??
दो हाथ तुझे भी दिए हैं, काम करने के लिए
उधार मांग मांग कर खाने में क्या मजा है ??
जिन्दगी एक थिएटर की तरह हैं ,जहाँ तून अभिनेता है
अब उस में से तून क्या लेता और किसी को क्या देता है ??
हाथ फैलाना इतना आसान है, कमाना कितना दुशवार
हर बाप अपनी बेटी को तो देता ही है, फिर क्यों बनता लाचार ??
अपनी मेहनत से भर लेगा ,घर के तून भण्डार
मांग कर लेगा तो प्यारे , वो चलेगा बस दिन दो चार ??
बेटी उसे ने दे दी, चीर कर सीना अपना, ध्यान रखना
कल तुझे अगर हो गयी बेटियन, न करे कहीं भगवान् ??
दूरदर्शी बनो , न करो गुमान, आज के इन दिनों का मेरे दोस्तों
जो आज दौलत तुम्हारी है, कल यह बनेगा सामान किसी और का ??
कवि अजीत कुमार तलवार
मेरठ