मेहनतकश मजदूरनी
जेठ का आग उगलता महीना ,
जलती हुई दुपहरी
तसला ढोती मेहनतकश मजदूरनी,
पीठ पर बंधा हुआ नवजात ,
जिस्म से पसीना चुराती धूप
, सीने से छाती चुराती उसकी मेहनत
धूल से सने अर्ध वसन , भूख चुराती हुई चिर थकान
पर चेहरे पर मासूम मुस्कान ,
मानों कह रही हो
उसने इस तरह से जीने का हुनर चुरा लिया है बड़ी चतुराई से
अपनी मेहनत से ,उसे मेहनत में विश्वास है
, इसलिए किसी की खातिर
नहीं है उदास ,बस मेहनत पर विश्वास