मेरै देश की कश्ती
न जाने क्यों थम गई
मेरे देश की कश्ती ।
हँसता खेलता प्यारा बच्चा क्या जाने क्या करे
डर है कोई अन्जान और अज्ञात सा मन में
माँ के मना करने पर पैर थम जाते है उसके
कलमुँहे की नजर लगी, दादी माँ कहा करती
क्योंकि देश मेरा सोन चिड़िया बड़ी हस्ती ।
न जाने क्यों थम गई है
मेरे देश की कश्ती ।
चारों ओर सन्नाटा पसरा , मन मेरा डरता
एक मीटर ने और बड़ा फासला कर दिया
प्रेम मौन भरे स्वर में चीत्कार कर कुछ कहने लगे
कहीं हाथ जोड़ , कहीं फटकार और दिखाये आँखे
लाँकडाउन हो गया है मजबूरी सरकार की सख्ती
न जाने क्यों थम गई है
मेरे देश की चलती कश्ती
जहाँ मोदी सा कर्मठ योगी सा युग परिवर्तन कर्ता हो
गाँधी, नेहरू , दयानन्द , विवेकानन्द से युग सृष्टा हो
तूफान हो या सुनामी कोई आपदा या कहर हो
जननी, जन्मभूमि स्वर्गादपि गरीयसी गौरव गान हो
बस कहूँ यही कि कार्रवाई दुश्मन पर न हो सस्ती
न जाने क्यों थम गई है
मेरे देश की चलती कश्ती