मेरे हमसफ़र
मेरे हमसफ़र तूँ है कहाँ ,मुझे तेरी ही दरकार है।
बिन तेरे सूना है आंगन ,जीवन भी मझधार है।
एक बार तूँ सुन ले मेरा, मैंने तेरा सुना हर बार है।
मेरे हमसफ़र तूँ है कहाँ ,मुझे तेरी ही दरकार है।
मैं तो खोया हूँ तेरे में ,मुझे तेरा ही तो खयाल है।
तूँ ही मेरा हमसफ़र है और इसी पर बवाल है।
मेरी अर्जी ,तेरी मर्जी , और तेरी ही सरकार है।
मेरे हमसफ़र तूँ है कहाँ ,मुझे तेरी ही दरकार है।
जबसे तूँ आहिस्ते से ,मेरे दिल मे समा गया है।
क्या बताएं किस कदर तूँ मेरे अंदर छा गया है।
यही बात खलती है सबको ,इसी पर तो रार है।
मेरे हमसफ़र तूँ है कहाँ ,मुझे तेरी ही दरकार है।
जिंदगी अब हसीन है ,तेरे आ जाने के बाद।
खुशियां लौटीं हैं दिलों में ,दिल हुआ है आबाद।
जब से आया है तूँ दिल में ,बहार ही बहार है।
मेरे हमसफ़र तूँ है कहाँ ,मुझे तेरी ही दरकार है।
-सिद्धार्थ गोरखपुरी