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8 Apr 2021 · 1 min read

मेरे हमसफ़र

**** मेरे हमसफर ***
******************

सुन लो, मेरे हमसफ़र,
दिल में करते हो बसर।

ले कर हाथों में हाथ,
मिलते रहिए ,हर डगर।

जो तुम कहो,वही करूँ,
कभी ना हो अगर मगर।

हाल चाहे जो भी हो,
हर पल की हो जो खबर।

चाहे दुखों का साया,
सहता रहे सदा जिगर।

कुछ भी हो जाए कहीं,
अलग ना हो कभी नगर।

मनसीरत मन मे समाये,
प्रेम की बहती रहे लहर।
******************
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)

Language: Hindi
293 Views
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