मेरे हमसफ़र
अठारह वर्ष पहले अनजाने थे,
आज मेरे लिये सबसे खास हैं।
सौंदर्य चेहरे का उनसे दमकता,
वह तो मेरे सिर का ताज हैं।
हर बात उसकी सराखों पर,
मुझे उन पर बहुत विश्वास है।
सात फेरों से रिश्ता जुड़ा जो,
वह मेरे प्यारे हमराज हैं।
समाये हैं मेरे रोम रोम में,
मेरे दिल में करते वो वास हैं।
प्रीत ‘प्रदीप’ से लागी ऐसी,
वह मेरी गज़लों की आवाज़ हैं।
अटूट रहे यह रिश्ता हमारा,
‘स्वाति’ रब से करती अरदास है।
By:Dr Swati Gupta