मेरे हमनशीन
जुल्मत में जो थे मेरे हमनशीन,
वो तो न जाने कहां खो गए।
अब है वोह जिन्हें आता नही वफ़ा करना,
मुसर्रत में मेरे रफीक बन गए।
जुल्मत में जो थे मेरे हमनशीन,
वो तो न जाने कहां खो गए।
अब है वोह जिन्हें आता नही वफ़ा करना,
मुसर्रत में मेरे रफीक बन गए।