मेरे हमदर्द मेरे हमराह, बने हो जब से तुम मेरे
मेरे हमदर्द मेरे हमराह, बने हो जब तुम मेरे।
रहोगे अब तो नजरों में, सदा बन ख्वाब तुम मेरे।।
मेरे हमदर्द मेरे हमराह————————-।।
बुरी नजरों से छुपाकर, रखूंगा तुमको हमेशा।
रहोगे बनके जीवन में, सदा संगीत तुम मेरे।।
मेरे हमदर्द मेरे हमराह———————।।
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(शेर )- मत रखना छुपाकर कभी, कोई राज़ तुम मुझसे।
पी लूंगा अपने आँसू मैं, मत छुपाना दर्द तुम मुझसे।।
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लाऊंगा मैं बहारें दोस्त, सदा खुश रखने को तुमको।
रहोगे बनके सितारा, सदा संग दोस्त तुम मेरे।।
मेरे हमदर्द मेरे हमराह——————।।
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(शेर )- रहना बनकर हमसाया मेरा, मेरे साथ साथ तुम चलना। करना नहीं कभी मुझको नाउम्मीद, बनकर हमदर्द तुम रहना।।
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बनाकर ताजमहल मैं, रखूंगा उसमें तुम्हें मुमताज़।
रहोगे बनके सिर का ताज, सदा संग में तुम मेरे।।
मेरे हमदर्द मेरे हमराह——————-।।
शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी. आज़ाद
तहसील एवं जिला – बारां(राजस्थान )